Shodashi Things To Know Before You Buy

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एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः

इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?

Her illustration just isn't static but evolves with creative and cultural influences, reflecting the dynamic mother nature of divine expression.

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a way of Neighborhood and spiritual solidarity amongst devotees. During these functions, the collective energy and devotion are palpable, as members have interaction in different varieties of worship and celebration.

On strolling toward her ancient sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her electrical power will increase in depth. Her templed is entered by descending down a dim slender staircase that has a crowd of other pilgrims into her cave-llike abode. There are numerous uneven and irregular techniques. The subterranean vault is very hot and humid and nonetheless You will find there's feeling of security and and protection inside the dim mild.

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The Mantra, Conversely, is usually a sonic illustration from the Goddess, encapsulating her essence through sacred syllables. Reciting her Mantra is thought to invoke her divine existence and bestow blessings.

देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

Her story incorporates legendary battles versus evil forces, emphasizing the triumph of fine over evil along with the spiritual journey from website ignorance to enlightenment.

श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या

चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया

वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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